हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी प्रणाली: एक प्राचीन नगर की आधुनिक सोच

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हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी प्रणाली
हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी प्रणाली
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सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। यह भारत की सबसे प्राचीन नगर सभ्यता मानी जाती है। इस सभ्यता की सबसे प्रमुख विशेषताओं में से एक थी — सुनियोजित जल निकासी प्रणाली (Drainage System)। यह व्यवस्था इतनी विकसित थी कि आज भी इसे देखकर आधुनिक नगरों की योजना को चुनौती दी जा सकती है।

🏙️ नगरों की योजना और जल निकासी प्रणाली:
हड़प्पा सभ्यता के नगर जैसे – मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, कालीबंगन आदि, बहुत ही योजना के अनुसार बनाए गए थे।

इन नगरों में हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी प्रणाली

सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।

सड़कों के किनारे पक्की नालियाँ बनी होती थीं।

ये नालियाँ ईंटों से बनी थीं और अधिकतर ढंकी हुई थीं।

प्रत्येक घर का गंदा पानी इन नालियों में जाता था।

🏠 घरों से निकासी:
अधिकांश घरों में स्नानघर (Bathroom) होते थे।

स्नानघर का पानी पाइपों के माध्यम से बाहर निकलता था।

यह गंदा पानी सड़कों पर बनी नालियों में बहा दिया जाता था।

कुछ स्थानों पर सोख्ता (Soak Pit) का उपयोग भी किया जाता था।

🔁 ढलान और सफाई व्यवस्था:
जल निकासी व्यवस्था इस प्रकार की गई थी कि नालियों में हल्का ढलान होता था।

इससे पानी स्वतः ही बहकर नगर से बाहर निकल जाता था।

नालियों की सफाई के लिए उन्हें ढंका गया था, लेकिन जगह-जगह पर सफाई के लिए छेद भी छोड़े गए थे।

🛁 महास्नानगृह (The Great Bath):
मोहनजोदड़ो में प्राप्त महास्नानगृह इस जल निकासी प्रणाली का सर्वोत्तम उदाहरण है।

यह एक बड़ा आयताकार जलाशय था।

इसके चारों ओर सीढ़ियाँ बनी थीं।

इसमें जल भरने और निकालने की उचित व्यवस्था थी।

महास्नानगृह के फर्श और दीवारों पर जलरोधक लेपन किया गया था।

✅ निष्कर्ष:
हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी प्रणाली यह सिद्ध करती है कि यह सभ्यता नगर योजना और स्वच्छता के क्षेत्र में अत्यंत उन्नत थी। इस प्रणाली के माध्यम से हमें यह भी पता चलता है कि सिंधु घाटी के लोग साफ़-सफाई (Cleanliness) और जनस्वास्थ्य (Public Health) के प्रति सजग थे। उनकी यह व्यवस्था आज की आधुनिक Drainage Systems के समान थी। इसलिए इसे “आधुनिकता का प्रमाण” कहा जाता है।

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Sidhant Singh is a highly accomplished professional educator with a diverse academic background. He holds a Master's degree in History, an MSc in Electrical Engineering and a PhD, demonstrating his extensive knowledge and expertise in both the humanities and the sciences. His unique combination of skills enables him to offer a well-rounded perspective in his teaching and research, making him a valuable resource for students across various fields.

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